काश! मोहाली पुलिस अपनी इंसानियत दिखाए और बेजुबानों पर ज़ुल्म करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करे
लेखक – रोहित कुमार
आज के दौर में इंसानियत की सबसे बड़ी पहचान यह है कि हम उन प्राणियों की भी रक्षा करें जो अपनी पीड़ा व्यक्त नहीं कर सकते — यानी बेजुबान जानवर। लेकिन अफसोस की बात है कि मोहाली जैसे विकसित और शिक्षित शहर में भी कई बार जानवरों पर हो रहे अत्याचारों की खबरें सामने आती हैं, और उससे भी अधिक दुख की बात तब होती है जब उन पर कार्रवाई नहीं की जाती।
पशुओं पर अत्याचार किसी एक जानवर की पीड़ा नहीं, बल्कि समाज की संवेदनहीनता का प्रतीक है। कई बार शिकायतें दर्ज कराने के बावजूद पुलिस द्वारा उचित कार्रवाई न होना, या मामलों को हल्के में लेना, यह दर्शाता है कि कानून और इंसानियत दोनों ही कमजोर पड़ रहे हैं। पुलिस को यह समझना चाहिए कि बेजुबान भी इस धरती के जीव हैं और उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी भी उतनी ही जरूरी है जितनी इंसानों की।
मोहाली पुलिस से जनता की उम्मीदें जुड़ी हैं। यदि वे सच्चे अर्थों में इंसानियत दिखाएं और ऐसे निर्दयी लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें जो मासूम जानवरों को पीड़ा देते हैं, तो समाज में एक सकारात्मक संदेश जाएगा। यह कदम न केवल कानून की मर्यादा को मजबूत करेगा बल्कि इंसानियत को भी नई पहचान देगा।
अब समय आ गया है कि पुलिस विभाग “कानून के रक्षक” होने के साथ-साथ “करुणा के प्रतीक” भी बने। तभी हम कह सकेंगे कि इंसानियत अभी ज़िंदा है।
— रोहित कुमार


