“सिटी ऑफ ड्रीम्स” में इंसानियत पर हमला — जब एक महिला ने दया दिखाई, तो राक्षसी मानसिकता ने सिर उठाया
एस.बी.पी सिटी ऑफ ड्रीम्स,
मोहाली:आज फिर “सिटी ऑफ ड्रीम्स” का चेहरा शर्म से झुक गया, जब एक महिला फीडर ने समाज के आवारा कुत्तों की नसबंदी करवाने के लिए अपने खर्चे पर गाड़ी मंगाई — ताकि न केवल कुत्तों की संख्या नियंत्रित रहे बल्कि उन्हें सुरक्षित जीवन मिल सके।
लेकिन अफसोस! समाज के कुछ तथाकथित “इंसान” एकजुट होकर उस महिला से भड़क गए और चिल्लाने लगे — “कुत्तों को वापस मत लाना!”
यही वह समाज है, जहाँ कुत्तों के नाम पर महिला फीडर से ज़बरन वसूली की जाती है, और उसे अपमानजनक शब्दों से नवाज़ा जाता है।
यहाँ रहने वाले कुछ “इंसान रूपी राक्षसों” ने न केवल बेज़ुबान जानवरों का, बल्कि मानवता का भी गला घोंट रखा है।
आज जब उस महिला ने फिर से इंसानियत का उदाहरण पेश करते हुए, अपने पैसे से कुत्तों की नसबंदी के लिए गाड़ी बुलवाई — तो एक घटिया मानसिकता वाला व्यक्ति उस पर बरस पड़ा, मानो दया और करुणा उसके लिए अपराध हों।
उस व्यक्ति का पागलपन इतना बढ़ गया कि वह महिला फीडर से उलझ पड़ा और धमकाने लगा कि “अब कुत्ते इस सोसाइटी में वापस नहीं आएंगे।”
हर दिन इस सोसाइटी में बेज़ुबान कुत्तों पर अत्याचार होता है।
कभी उन्हें मारा जाता है, कभी डराया जाता है।
वही लोग, जो खुद को सभ्य बताते हैं, व्हाट्सऐप ग्रुपों में बैठकर महिला फीडर के खिलाफ षड्यंत्र रचते हैं —
कभी जबरन वसूली की बातें करते हैं, तो कभी झूठी शिकायतें देकर पुलिस को भी गुमराह करते हैं।
सवाल ये है कि क्या हमारी इंसानियत इतनी सस्ती हो गई है,
कि जो बेज़ुबानों के लिए बोलता है, वही इस समाज का दुश्मन बन जाता है?
इस “सिटी ऑफ ड्रीम्स” में कुछ “मृत ज़मीर” लोग अपने बच्चों को नफ़रत और क्रूरता की विरासत दे रहे हैं।
ये वही लोग हैं जो आने वाली पीढ़ियों को सिखा रहे हैं कि “दया दिखाना गुनाह है, और क्रूरता ताकत।”
लेकिन सच ये है —
महिला फीडर जैसे लोग ही असली भगवान के दूत हैं,
जो बिना किसी स्वार्थ के इंसानियत की लौ जलाए हुए हैं।
इन राक्षसी मानसिकताओं के सामने खड़े होकर वो हर दिन साबित कर रही हैं कि
“अब भी इस धरती पर इंसानियत ज़िंदा है।”


