2025 की सबसे डरावनी सच्चाई: मोहाली–चंडीगढ़ में वीज़ा माफिया का बेखौफ राज, करोड़ों की लूट और सैकड़ों FIR बेअसर
रोहित कुमार
मोहाली–चंडीगढ़ में विदेश भेजने के नाम पर ठगी अब छोटे अपराध नहीं बल्कि संगठित कारोबार बन चुकी है। वीज़ा, वर्क परमिट और जॉब ऑफर के नाम पर लोगों को फंसाने वाले गिरोहों ने इन दोनों शहरों को अपनी सुरक्षित पनाहगाह बना लिया है। नकली मेडिकल लैब, फर्जी कंपनियों के ऑफर लेटर, नकली वीज़ा स्टिकर और पासपोर्ट वापस मांगने पर हजारों रुपये “पेनल्टी” के नाम पर वसूलना अब आम हथकंडा बन चुका है। Kuwait, Qatar, Dubai, Canada, Australia, Slovakia, Russia, Luxembourg, Schengen देशों के वर्क वीज़ा और परमिट के नाम पर सैकड़ों परिवारों की जमा पूंजी लूट ली गई है।
पिछले दो साल यानी 2024 से 2025 के बीच सामने आए पुलिस और मीडिया आंकड़े डराने वाले हैं। अकेले मोहाली में करीब 351 वीज़ा और इमिग्रेशन फ्रॉड के मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें ठगी की कुल रकम लगभग 21 करोड़ रुपये तक पहुंच चुकी है। इन मामलों में सैकड़ों गैर-लाइसेंसधारी इमिग्रेशन एजेंट, फर्जी दस्तावेज तैयार करने वाले दलाल और नकली मेडिकल रिपोर्ट जारी करने वाले नेटवर्क बेनकाब हुए हैं। कई मामलों में आरोपी गिरफ्तार हुए, लेकिन इसके बावजूद नए-नए ऑफिस खुलते रहे और ठगी का सिलसिला थमता नहीं दिखा।
चंडीगढ़ की तस्वीर भी इससे अलग नहीं है। यहां पिछले दो साल में 200 से अधिक इमिग्रेशन और वीज़ा फ्रॉड के मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें कुल ठगी की रकम 42 करोड़ रुपये से ज्यादा बताई जा रही है। पुलिस जांच में सामने आया कि कई एजेंट एक ही समय में कई देशों के वर्क वीज़ा का झांसा देकर लोगों से लाखों रुपये ऐंठते रहे। नकली मेडिकल सर्टिफिकेट जारी करने वाली लैब पकड़ी गईं, फर्जी ऑफर लेटर जब्त हुए और सौ से ज्यादा लोगों की गिरफ्तारी भी हुई, फिर भी ठगी का नेटवर्क पूरी तरह टूट नहीं सका।
जांच में यह भी सामने आया कि वीज़ा ठगी की रीढ़ बन चुकी नकली मेडिकल लैब बिना किसी डर के काम कर रही थीं। इन लैबों से फर्जी फिटनेस रिपोर्ट, मेडिकल क्लियरेंस और दूतावास के नाम पर तैयार किए गए दस्तावेज सीधे इमिग्रेशन एजेंटों को सप्लाई किए जाते थे। कई पीड़ितों ने आरोप लगाया कि वीज़ा रिजेक्ट होने के बाद जब उन्होंने अपना पासपोर्ट वापस मांगा तो उनसे हजारों से लेकर लाखों रुपये तक “कैंसिलेशन चार्ज” या “पेनल्टी” के नाम पर वसूले गए।
सैकड़ों FIR, करोड़ों की ठगी और दर्जनों गिरफ्तारियों के बावजूद सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या यह सब प्रशासन की आंखों के सामने हो रहा है या फिर सिस्टम की खामियों का फायदा उठाकर ठग बेखौफ हो चुके हैं। जिन शहरों से विदेश जाने का सपना बिक रहा है, वहीं सपनों की सबसे बड़ी लूट भी हो रही है, और नकली वीज़ा एजेंट आज भी खुलेआम अपना धंधा चला रहे हैं।


